मुझे फूलों से बहुत प्यार है। एक बार मैं घुमने का आनंद ले रहा था कि अचानक मुझे रूहानी फूलों का एक बहुत बड़ा बगीचा (मधुबन) दिखा। जो अपनी रूहानियत की खुशबू पुरे विश्व भर में बिखेर रहा था। बस.. फिर क्या था! मैं भी उसका आनन्द लेने उसके पास जा पहुंचा।
बाहर खड़ा ही था कि मेरी नज़र उस बगीचे के माली पर पड़ी। बड़ा आश्चर्य हुआ, फ़रिश्ते सी आँखे, हंस सी चाल, दैवी गुणों की खुशबू, और आनंदमयी मुस्कराहट से बगीचे की रखवाली कर रहा था। मैं भी कम नहीं था, माली से आँखे बचाकर बगीचे में घुस गया।
अहा…! क्या आनंद ही आनंद थे। अभी तो ऐसे ही घूम रहा था कि माली की नज़र मुझपर पड़ गयी। वह मेरी तरफ दौड़ा, फिर मैं भी भागा। आश्चर्य की बात यह थी कि वह मेरी तरफ दौड़े आ रहा था और मैं उसके तरफ भागे जा रहा था। फिर तो उसने दबोचकर मुझे अपनी बाँहों में समा लिया। मैं भी अपने देह को भूल अतीन्द्रिय सुखों में समाया रहा… समाया रहा…।
जब नज़र से नज़र मिली तो देखा वो तो ‘मेरा ही बाबा’ है।
ओम शांति।।